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तकनीकसिंगापुर

रोजमर्रा की समस्याएं एआई से सुलझा रहा है सिंगापुर

२७ फ़रवरी २०२४

जब पूरी दुनिया में सरकारें एआई को नियमित करने के लिए विचार-विमर्श कर रही हैं, सिंगापुर उसका इस्तेमाल रोजमर्रा की समस्याएं हल करने में कर रहा है.

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जेनरेटिव एआई
जेनरेटिव एआई की परिकल्पनातस्वीर: Manuel Ruiz/Addictive Stock/IMAGO

सिंगापुर में करीब सौ कम्यूनिटी सेंटर हैं. अगर किसी को बैडमिंटन कोर्ट बुक करना हो तो पहले वेबसाइट पर टाइम और जगह तब तक सर्च करने पड़ते थे जब तक कि खाली जगह और वक्त ना मिल जाए. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस ने यह दिक्कत चुटकियों में हल कर दी है.

कम्यूनिटी सेंटरों को चलाने वाली संस्था पीपल्स एसोसिएशन और सरकारी टेक-एजेंसी ने जेनरेटिव एआई की मदद से एक सिस्टम तैयार किया, जिसमें लोगों के लिए अपनी सहूलियत के टाइम पर खाली कोर्ट खोजना बहुत आसान हो गया है. यह सिस्टम चार स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध है. लोग चैटबॉट से पूछते हैं कि इस वक्त कौन सा कोर्ट खाली है, और चैटबॉट सर्च करके उन्हें बता देता है.

यह बुकिंग चैटबॉट ऐसे सौ से ज्यादा समाधानों में से एक है जो ‘एआई ट्रेलब्लेजर्स' प्रोजेक्ट के तहत सिंगापुर में लोगों की रोजमर्रा की समस्याओं को हल करने के लिए तैयार किए गए हैं. गूगल और सिंगापुर सरकार द्वारा चलाया जाने वाला यह प्रोजेक्ट नौकरियों के लिए आईं अर्जियों को स्कैन करने से लेकर पढ़ाई का सिलेबस तैयार करने और कस्टमर केयर सेंटर में बातचीत को टाइप करने तक तमाम तरह के कामों के लिए एआई सॉल्यूशन तैयार कर रहा है.

सबके लिए एआई

सिंगापुर की सूचना व संचार मंत्री जोसेफिन टियो कहती हैं कि ‘एआई ट्रेलब्लेजर्स' प्रोजेक्ट सरकार की 'सबके लिए एआई' नीति का हिस्सा है, जिसमें जोर नियम-कानून बनाने पर कम और सबको इस तकनीक का लाभ पहुंचाने पर ज्यादा है.

गूगल के सिंगापुर दफ्तर में मीडिया से बातचीत में पिछले महीने टियो ने कहा, "नियम निश्चित तौर पर अच्छे शासन का हिस्सा होते हैं लेकिन एआई में हमें यह सुनिश्चित करना है कि काम को सहारा देने के लिए अच्छा ढांचा उपलब्ध हो. दूसरा महत्वपूर्ण पहलू है क्षमताओं का विकास और यह सुनिश्चित करना कि लोगों की इन युक्तियों तक पहुंच हो बल्कि उनके पास अपने कौशल के विकास का मौका भी हो जिससे वे इन युक्तियों के इस्तेमाल के लिए तैयार हो सकें.”

पिछले कुछ महीनों में जेनरेटिव एआईका पूरी दुनिया में विस्फोटक विकास हुआ है. इस तेज विकास के कारण एक तरफ तो इसका लाभ उठाने के लिए होड़ मची है, दूसरी तरफ सरकारों में इसके गलत इस्तेमाल को लेकर चिंता भी है. इन दोनों भावनाओं के बीच सामंजस्य बिठाने में तमाम देशों की सरकारों को मुश्किल आ रही हैं. इसलिए इस बात पर बहस भी हो रही है कि एआई को नियंत्रित करने के लिए किस तरह के नियम कानून बनाए जाएं.

बीच का रास्ता

सिंगापुर का ध्यान एआई को इस तरह से अपनाने पर है कि आम जनता और उद्योगों को लाभ पहुंचे. देश की सरकारी डिजिटल स्ट्रैटिजी बनाने वाली संस्था इन्फोकॉम मीडिया डिवेलपमेंट अथॉरिटी (आईएमडीए) की उप प्रमुख डिनीस वॉन्ग कहती हैं कि सरकार एक ऐसा माहौल बनाने की कोशिश कर रही है जिसमें शोध, कौशल और सहयोग का विकास हो.

AI से क्या कराएं कि हमें फुर्सत मिल सके

वह बताती हैं, "हम नियम बनाने पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. हम मानते हैं कि जनता के लिए एआई का इस्तेमाल हो, ऐसा तभी हो सकता है जब व्यवस्था पर भरोसा हो. इसलिए हमें एक ऐसा माहौल चाहिए जिसमें कंपनियां इनोवेशन पर ध्यान दे सकें और उसे सुरक्षित व जिम्मेदार तरीके से इस्तेमाल कर सकें. इससे भरोसा पैदा होता है.”

ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में सिंगापुर की जगह हमेशा सबसे अच्छे देशों में रही है. पिछले साल वह पांचवें नंबर पर था. इसे देश के संस्थानों, मानव संसाधनों और इंफ्रास्ट्रक्चर की ताकत माना जाता है. सिंगापुर उन शुरुआती देशों में से था जिन्होंने एआई को सबसे पहले अपनाया था. 2019 में ही देश ने एक एआई रणनीति तैयार कर ली थी जिसका मकसद था कि लोग, उद्योग और समुदाय सुरक्षित और भरोसेमंद तरीके से एआई का इस्तेमाल कर पाएं.

तौर-तरीके भी तैयार

पिछले साल ही सिंगापुर की अदालतों में एआई का इस्तेमाल शुरू हुआ था. उसके बाद स्कूलों और सरकारी एजेंसियों में इसका इस्तेमाल शुरू हुआ. पिछले साल दिसंबर में देश की दूसरी एआई रणनीति जारी की गई जिसका मिशन थाः लोगों के, सिंगापुर और दुनिया के भले के लिए एआई.

पिछले साल वहां एआई वेरिफाई फाउंडेशन भी स्थापित की गई, जो एआई के जिम्मेदाराना इस्तेमाल के लिए तौर-तरीके विकसित कर रही है. आईएमडीए के अलावा आईबीएम, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल और सेल्सफोर्स जैसी टेक-कंपनियां फाउंडेशन की सदस्य हैं.

वॉन्ग कहती हैं कि कोड-शेयरिंग वेबसाइट गिटहब पर जब इस टूलकिट को साझा किया गया तो दुनियाभर की दर्जनभर कंपनियों ने इसमें दिलचस्पी दिखाई है.

वॉन्ग कहती हैं, "हम चाहते हैं कि सभी एआई का जिम्मेदारी से इस्तेमाल करें. लेकिन सरकारें ऐसा अपने आप नहीं कर सकतीं.”

वीके/एए (थॉमस रॉयटर्स फाउंडेशन)

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