1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

कोसोवो: बलात्कार पीड़ित पुरुष किस शर्मिंदगी में जी रहे हैं?

१५ मार्च २०२४

बाल्कन युद्धों के दौरान, बलात्कार एक व्यापक युद्ध अपराध था, खासकर 1998-99 में कोसोवो में. पीड़ितों में पुरुष भी शामिल हैं और उनमें से ही एक व्यक्ति ने डीडब्ल्यू को अपनी कहानी बताई.

https://p.dw.com/p/4dacY
कोसोवो युद्ध में बलात्कार को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया
कोसोवो युद्ध में बलात्कार को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गयातस्वीर: Louisa_Gouliamaki/dpa/picture-alliance

साल 1998 में शाबान महज 19 साल के थे. वो कोसोवो-अलबेनियाई मूल के हैं जिनका असली नाम इस कहानी में बदल दिया गया है क्योंकि डीडब्ल्यू को वो अपनी दर्दनाक कहानी सुनाना और बताना तो चाहते थे लेकिन नाम नहीं जाहिर करना चाहते थे यानी गुमनाम रूप से.

जब सर्बियाई सैनिक कोसोवो लिबरेशन आर्मी (यूसीके) को हराकर आगे बढ़े और मध्य कोसोवो में उनके जिले में पहुंचे, तो सर्बियाई सैनिकों ने करीब 200 लोगों को गिरफ्तार कर लिया जिनमें शाबान भी शामिल थे. गिरफ्तार करने के बाद सैनिक उन सभी लोगों को एक पुलिस स्टेशन ले गए. उस वक्त उन्हें नहीं पता था कि वहां जो कुछ भी हुआ वह उनकी पूरी जिंदगी बदल कर रख देगा.

शाबान बताते हैं कि उन्हें पूछताछ के लिए व्यक्तिगत रूप से बुलाया गया था. उनके साथ बेहद कठोर और अपमानजनक व्यवहार किया गया. उन्हें बार-बार पीटा गया और लात मारी गई. शाबान को जानबूझकर गिरफ्तार किए गए लोगों में से चुना गया था.

शाबान कांपती आवाज़ में बताते हैं, "फिर पुलिस अधिकारी मुझे शौचालय में ले गए और मेरे साथ बहुत बुरा किया. सबसे बुरा.”

अपने साथ हुए बलात्कार को वो इसी रूप में बताते हैं, ज्यादा विस्तार में नहीं जाना चाहते.

कई दशक बाद भी, वह अपनी इन बुरी यादों के साथ जी रहे हैं और रो रहे हैं. लेकिन वह तो महज एक शुरूआत थी. इसके बाद आतंकवाद के आरोप में उन्हें जेल में भी डाल दिया गया था.

शाबान कहते हैं, "मेरे ऊपर आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होना का आरोप निराधार और मनगढ़ंत था.”

शाबान को तीन साल जेल में रखा गया
शाबान को तीन साल जेल में रखा गया तस्वीर: Vjosa Çerkini/DW

कोसोवो और नाटो

सर्ब और कोसोवो-अलबेनियाई लोगों के बीच युद्ध इतना भयावह हो गया कि आखिरकार नाटो को हस्तक्षेप करना पड़ा. युद्ध के दौरान रेकाक और प्रीकाज के नरसंहार की बड़ी घटना हुई जिसमें सर्बियाई सुरक्षा बलों ने कोसोवो के करीब 100 नागरिकों को मार डाला था. जून 1999 में, नाटो सेनाओं की तरफ से की गई बमबारी के दबाव में सर्बों को आत्मसमर्पण करना पड़ा. सर्बिया के भीतर कोसोवो-अलबेनियाई लोगों की स्वायत्तता को रद्द करने का उनका प्रयास विफल हो गया था जिसकी गारंटी यूगोस्लाव राज्य के संस्थापक जोसिप ब्रोज टीटो ने दी थी.

हालांकि, शाबान के लिए, इसका मतलब उसकी पीड़ा का अंत नहीं था. उन्हें कोसोवो जेल से दक्षिणी सर्बिया के एक शहर निस में भेज दिया गया और अगले तीन वर्षों तक कैद में रखा गया.

बलात्कार वैसे तो गैरकानूनी युद्ध अपराध हैं जिनसे मुख्य रूप से महिलाएं पीड़ित होती हैं लेकिन बलात्कार किए गए पुरुषों के बारे में बहुत कम जानकारी है. हालांकि उनके लिए बलात्कार का दंश महिलाओं से कम नहीं होता है.

मनोवैज्ञानिक सेवी इजेटी कई साल से बलात्कार पीड़ित पुरुषों के विषय पर शोध कर रही हैं. वो कहती हैं, "एक आदमी के बारे में पारंपरिक अवधारणा यह है कि वह कठिन चुनौतियों का सामना करने वाला एक मजबूत व्यक्ति होता है. लेकिन युद्ध में यौन हिंसा के पीड़ित व्यक्ति के अनुभव इस अवधारणा का खंडन करते हैं. मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से, यौन हिंसा का अनुभव उनकी अपनी पहचान की नींव को हिला देता है और उन्हें अपनी पीड़ा छिपाने के लिए मजबूर करता है. वे कमजोर और शर्मिंदा महसूस करते हैं.”

यह एक तार्किक निष्कर्ष था कि ‘चूंकि पुरुष इस बात को गोपनीय रखते हैं और इसीलिए, पीड़ितों को जो पुनर्वास सुविधाएं मिलती हैं, वहां तक भी नहीं पहुंच पाते हैं. जबकि उनकी तुलना में ऐसी सुविधाओं तक महिलाओं की पहुंच ज्यादा आसान है. यहां तक कि ऐसे पुरुष केवल अनिच्छा से ही पेशेवर उपचार से गुजरते हैं और मुश्किल से अपने साथ हुए इस बर्ताव यानी एक बलात्कृत पुरुष की मान्यता को स्वीकार करते हैं.'

यही कारण था कि आज तक केवल कुछ दर्जन पुरुषों ने ही कोसोवा रीहेबिलिटेशन सेंटर फॉर टॉर्चर विक्टिम्स (केआरसीटी) से संपर्क किया था.

परिजनों को भी अंधेरे में रखा गया

कोसोवो की राजधानी और सबसे बड़े शहर प्रिस्टिना के बीचोंबीच स्थित हेरोइनाट (हीरोइन्स) स्क्वायर के ठीक बगल में कोसोवो का ऐतिहासिक और आदर्श वाक्य लिखा है- NEWBORN. अर्थात, नवजात शिशु. यह महिला बलात्कार पीड़ितों की याद दिलाता है. 5.5 मीटर ऊंची और 4.5 मीटर चौड़ी मूर्ति में एक महिला के सिर को दर्शाया गया है, जो बीस हजार धातु से बने प्रतीकों से बना है. प्रत्येक प्रतीक यानी बैज युद्ध के दौरान बलात्कार की गई महिला का प्रतिनिधित्व करता है.

सरकार उन बलात्कार पीड़ितों को हर महीने 200 यूरो मुआवजा देती है जिनके साथ बलात्कार की पुष्टि हुई है. बलात्कार की पुष्टि के लिए महिलाओं को अपने अनुभवों को बताना पड़ा है और उन्हें एक पैनल के सामने उस बात को दोहराना पड़ा है.

बलात्कार पीड़ित महिलाओं के लिए श्रद्धांजलि स्थल
बलात्कार पीड़ित महिलाओं के लिए श्रद्धांजलि स्थल तस्वीर: Bettina Marx/DW

हालांकि लंबे समय तक, शाबान ने कभी भी ऐसे पैनल के सामने बोलने के बारे में नहीं सोचा. यहां तक ​​कि उनके परिवार को भी उनके जीवन के इस दुर्भाग्यपूर्ण पहलू के बारे में कोई जानकारी नहीं है. वे शादीशुदा हैं और अब उनके बच्चे भी हैं, लेकिन उन्होंने अपनी कहानी किसी को नहीं बताई.

कई दूसरे पीड़ित भी ऐसा की करते हैं, मतलब, अपने खिलाफ हुए अपराधों को अपने तक ही सीमित रखते हैं. हालांकि, शाबान ने आखिरकार पैनल का सामना करने का फैसला किया और आज वह उन लोगों में से एक हैं जिन्हें बलात्कार पीड़ित के तौर पर मान्यता दी गई यानी यह माना गया कि कोसोवो युद्ध के दौरान उनके साथ बलात्कार हुआ.

यातना और दर्द भरा जीवन

शाबान के लिए, बलात्कार के असर काफी व्यापक हैं. वह हर दिन खौफ में रहता है और इलाज के बिना सो नहीं पाता. जेल से रिहा होने के बाद से, वे स्थायी रूप से दवा ले रहे हैं और उनका इलाज चल रहा है. वो कहते हैं, "दवा के बिना, मैं वास्तव में ठीक से रह नहीं सकता. जब मैंने इसे दो दिनों के लिए बंद कर दिया, तो मेरा पूरा शरीर कांपने लगा और वो पुरानी यादें फिर से वापस आ गईं.”

पीड़ितों के पंजीकरण की जिम्मेदारी कोसोवो की एक सरकारी समिति पर है. समिति ने यौन हिंसा के 1,102 पीड़ित लोगों का ब्योरा दर्ज किया जिसमें 1054 महिलाएं और 48 पुरुष शामिल हैं. शाबान भी इन लोगों में से एक है. यदि हेरोइन्स स्क्वायर पर पीड़ितों का प्रतिनिधित्व करने वाले बैज की संख्या जरा भी सटीक है, तो वास्तव में ये आंकड़ा उससे 20 गुना ज्यादा है. इसके विपरीत, इसका मतलब यह भी है कि कोसोवो युद्ध के दौरान करीब एक हजार पुरुषों के साथ बलात्कार किया गया था.

पैसे से ज्यादा महत्वपूर्ण गोपनीयता है

इस मुद्दे पर अभी खुलकर चर्चा नहीं हुई है. यहां तक ​​कि मुआवजे की संभावना भी शायद ही पीड़ितों को अपने बारे में बताने के लिए प्रेरित कर पाएगी. साथ ही, प्रभावित लोगों के लिए यह बड़ी राहत होगी अगर वे किसी पर भरोसा कर सकें.

शाबान कहते हैं, "बातचीत आध्यात्मिक मुक्ति की तरह होगी. यह पैसे के बारे में नहीं है. हमारे लिए इलाज और गोपनीयता कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हैं. यही कारण है कि आज तक, ज्यादातर बलात्कार पीड़ितों ने चुप रहने का फैसला किया है.”

शाबान कहते हैं, "यदि लोगों को पता चल गया, तो मेरे पास जीने के लिए कुछ भी नहीं बचेगा. मुझे इस बात का डर है कि मेरे रिश्तेदारों या किसी और को मेरा रहस्य पता चल जाएगा. अगर ऐसा होता है तब तो मेरा पूरा जीवन लोगों की गपशप की भेंट चढ़ जाएगा. मुझे इसी बात का सबसे ज्यादा डर है.”

रिपोर्ट: वजोसा सेर्किनी