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सर्बिया में नाटो हमले की याद

२४ मार्च २०१४

पंद्रह साल पहले सर्बिया पर नाटो के हमले के साथ कोसोवो के अल्बानियों पर सर्बिया के तत्कालीन शासन का जुल्म समाप्त हुआ. लेकिन बहुत से आम नागरिक भी बमों के शिकार हुए. सर्बिया का वर्वारीन उस भयानक त्रासदी को याद कर रहा है.

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Kosovo Varvarin
तस्वीर: picture-alliance/dpa

वर्वारीन शहर के पुल के पास दो टूटे पोपलर पेड़ शहर के दुखद इतिहास की कहानी कहते हैं. 30 मई 1999 से ये पेड़ वैसे ही गिरे हैं. 2000 की आबादी वाले शहर के मेयर जोरान मिलेन्कोविच कहते हैं, "रविवार का दिन था, सूरज की रोशनी वाली और बिना किसी बादल के. हाट का दिन होने के कारण और ऑर्थोडॉक्स त्योहार की वजह से काफी लोग वर्वारीन में जमा थे."

भागो, वे फिर आ रहे हैं

पूरी दाढ़ी वाले हट्टे कट्टे मेयर ने चमड़े का जैकेट पहन रखा है. लेकिन उनकी आवाज उनके कद्दावर शरीर से मेल नहीं खाती. वे धीमे धीमे और उदास आवाज में बोलते हैं. त्योहार के दिन सायरनों ने हवाई हमले की चेतावनी जरूर दी लेकिन मिलेन्कोविच कहते हैं कि दो महीने से हो रही बमबारी के बाद किसी ने उसे गंभीरता से नहीं लिया. एक शहर में, जहां न सेना थी और न ही कोई सैनिक लक्ष्य, वहां क्या होना था? लेकिन उस दिन ने मेयर की जिंदगी बदल दी.

जब नाटो के लड़ाकू विमान आसमान में दिखे, तो मिलेन्कोविच की 15 वर्षीया बेटी सान्या दो दोस्तों के साथ पुल पर थी. हाई टेक बमों ने पुल को तोड़ दिया, तीनों लड़कियां गंभीर रूप से घायल हो गईं. मिलेन्कोविच कहते हैं, "मेरी बेटी सान्या जिंदा नहीं रही."

हमले के बाद सकते में आए निवासियों ने घायलों की मदद की कोशिश की. मिरोस्लाव दाकिच कहते हैं, "मदद के लिए लोगों की पुकार सुनी जा सकती थी. मैं नदी में था जब कोई चिल्लाया, भागो, वे फिर आ रहे हैं." पुल टूट कर गिर पड़ा, लेकिन जंगी विमान फिर लौटे और उन्होंने फिर से बमबारी की. "धमाके से मैं 10 मीटर दूर जा गिरा, पोपलर पेड़ के पास." बम के टुकड़े उनके दाएं पांव में लगे जो अब छह सेंटीमीटर छोटा है. चिकित्सा अधिकारियों के अनुसार वे 60 फीसदी अपंग हैं.

NATO 1999 in Serbien
तस्वीर: picture-alliance/dpa

न कोई सांत्वना, न मुआवजा

इस हमले के बाद नाटो प्रवक्ता जेमी शेआ ने टिप्पणी की, "बुराई पर जीत की हमेशा कीमत चुकानी होती है." उनके लिए वर्वारीन में हुई 10 मौतें और 30 घायल बस आंकड़े हैं, युद्ध के दौरान होने वाला अपरिहार्य नुकसान. सर्बिया और मोंटेनीग्रो से बने संघीय गणराज्य यूगोस्लाविया पर पश्चिमी देशों के हमले से कोसोवो में अल्बानियों पर मिलोसेविच शासन के हमलों को रोका गया, लेकिन दूसरी ओर हमलों में सर्बिया के अनुसार 2500 बेकसूर नागरिक भी मारे गए. मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वाच ने 500 आम लोगों के मरने की बात कही है. वर्वारीन का उदाहरण दिखाता है कि इन मौतों की कोई वजह नहीं थी.

बर्लिन के वकील उलरिष दोस्त ने 2001 में हमले का शिकार हुए लोगों के नाम पर नाटो के सदस्य के रूप में जर्मनी से 80 लाख मार्क के मुआवजे की मांग की थी. दोस्त का कहना है कि वर्वारीन के पुल का कोई सैनिक महत्व नहीं था और हमला करने वालों को पता था कि वहां सिर्फ असैनिक शिकार होंगे. दोस्त ने डॉयचे वेले से कहा, "वर्वारीन राजधानी बेलग्रेड और कोसोवो से करीब 200 किलोमीटर दूर है. वहां कोई सैनिक विवाद नहीं हो रहा था. कल्पना कीजिए, नाटो ने दिन के उजाले में सार्वजनिक जगहों और बाजारों पर हमला किया."

बॉन की अदालत ने 2003 में मुकदमे को खारिज कर दिया. फैसले में कहा गया कि एकल व्यक्ति युद्ध की वजह से राज्य पर मुकदमा नहीं कर सकते. संवैधानिक अदालत में इस फैसले के खिलाफ की गई अपील भी खारिज हो गई. दोस्त कहते हैं, "राज्यों के विशेषाधिकार के साथ अंतरराष्ट्रीय कानून की समस्या का हमें शुरू से ही पता था. हम राजनीतिक चेतना को झकझोरना चाहते थे." लेकिन इसका अब तक कोई असर नहीं दिखा है. "सरकारें अंतरराष्ट्रीय कानून को बदलना नहीं चाहतीं. वे 1999 की तरह आज भी दुनिया भर में युद्ध कर रहे हैं."

Varvarin
तस्वीर: DW/V. Minić

युद्ध और सच्चाई

वर्वारीन के मेयर उस स्मारक के पास खड़े हैं जिसे उनकी बेटी और हमले के दूसरे शिकारों की याद में बनाया गया है. एक बहुत ही बड़ा ग्लोब और एक घेरा जिसकी नोंक सर्बिया की तरफ है. जोरान मींकोविच को जर्मनी से किसी मुआवजे की उम्मीद नहीं है. "मुआवजे का मतलब गलती को मानना होता. मुझे पता था कि वे अपराध कबूल नहीं करेंगे." उनके लिए वर्वारीन की घटना पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया की दिलचस्पी एकमात्र सांत्वना है. "मेरे लिए यह बात अहम है कि लोग नाटो के हमले की हकीकत को जानें."

इस हमले के करीब 10 दिन बाद सर्बिया के राष्ट्रपति स्लोबोदान मिलोसेविच ने शांति संधि पर हस्ताक्षर कर दिए जिसका मतलब कोसोवो से यूगोस्लाविया की सेना को हटाया जाना था. नवंबर 1999 में वर्वारीन के नवनिर्मित पुल का उद्घाटन हुआ. आज सर्बिया पर नाटो के हमले के शुरू होने की 15वीं वर्षगांठ है. शहर के निवासी गिरिजे में इकट्ठा हो रहे हैं, इस बार ऑर्थोडॉक्स त्योहार के लिए नहीं. त्योहार का दिन शोक और याद का दिन बन गया है.

रिपोर्ट: व्लादिमीर मिनिच/एमजे

संपादन: ए जमाल