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अपराधभारत

इस साल भारतीयों ने अमेरिकियों से ठगे आठ खरब रुपये

विवेक कुमार
२७ दिसम्बर २०२२

भारत के ठगों ने अमेरिकी लोगों से इस साल अब तक 10 अरब डॉलर से ज्यादा ठग लिए हैं. अमेरिका ने तो अपना एक अधिकारी स्थायी रूप से दिल्ली में तैनात कर दिया है.

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साइबर क्राइम
साइबर क्राइम का फैलता जालतस्वीर: zephyr18/imago images

अमेरिकी फेडरल जांच एजेंसी एफबीआई की रिपोर्ट बताती है कि साल 2022 में भारत से काम करने वाले ठगी गिरोहों ने अमेरिका के लोगों के दस अरब डॉलर यानी करीब सवा आठ खरब रुपये ठग लिए. इस रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा निशाना अमेरिका में रहने वाले बुजुर्गों को बनाया गया जिनसे बीते दो साल में तीन अरब डॉलर से ज्यादा ठगे जा चुके हैं.

इंटरपोल: वित्तीय और साइबर अपराध से दुनिया की पुलिस चिंतित

ठगी की इन घटनाओं को अक्सर अवैध कॉल सेंटरों के जरिए अंजाम दिया गया. इन कॉल सेंटरों में बैठे लोगों ने फोन के जरिए अमेरीकियों को चूना लगाया और सबसे ज्यादा निशाना बुजुर्गों को तकनीकी मदद देने के नाम पर बनाया गया.

रिपोर्ट कहती है कि साल के 11 महीने में ही अमेरिकी नागरिकों से 10.2 अरब डॉलर ठगे जा चुके थे. बीते साल के मुकाबले यह आंकड़ा 47 फीसदी ज्यादा है. 2021 में कुल ठगी 6.9 अरब डॉलर की हुई थी.

भारत से होने वाले ठगी के मामलों में भारी उछाल को देखते हुए एफबीआई ने अब नई दिल्ली स्थित अपने दूतावास में एक स्थायी प्रतिनिधि तैनात कर दिया है. यह अधिकारी सीबीआई, इंटरपोल और दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर काम करता है और इसका मकसद ठगी करने वाले गिरोहों का भंडाफोड़ करना व अमेरिका से भेजे जा रहे धन को बीच में ही रोक देना होता है.

हजारों करोड़ का नुकसान

इस वक्त नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास में यह भूमिका सुहेल दाऊद निभा रहे हैं जो एफबीआई के दक्षिण एशिया प्रमुख हैं. उन्होंने एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भारतीय अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि एफबीआई की वेबसाइट पर धोखाधड़ी के जिन मामलों की सूचना दी गई है, उनमें सिर्फ प्रेम संबंधों के बहाने की गई ठगी से इस साल के 11 महीनों में ही आठ हजार करोड़ का नुकसान हुआ है. 2021 में इतना नुकसान पूरे साल में हुआ था.

डाटा चोरी का असर

टेक सपोर्ट क्राइम यानी तकनीकी मदद उपलब्ध कराने के नाम पर दो साल में तीन अरब डॉलर ठगे गए हैं जिनमें से ज्यादातर पीड़ितों की आयु 60 वर्ष से अधिक है. टेक सपोर्ट क्राइम में इस साल 128 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है.

पिछले दो साल में ही अमेरिकियों को 9,200 करोड़ का नुकसान हो चुका है. 2021 में करीब 2,800 करोड़ रुपये ठगे गए थे जबकि इस साल अब तक 6,400 करोड़ रुपये की चपत लग चुकी है.

पकड़े जाते ठगी गिरोह

हाल के महीनों में भारत में कई ऐसे फर्जी कॉल सेंटर पकड़े गए हैं जहां से विदेशियों को ठगा जा रहा था. इसी महीने दिल्ली पुलिस ने एक कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया है जिसे तीन लोगों द्वारा चलाया जा रहा था. पुलिस के मुताबिक ये लोग टेक सपोर्ट मुहैया कराने के नाम पर अमेरिकी लोगों को शिकार बना रहे थे.

इस गिरोह का एक सदस्य कनाडा में भी गिरफ्तार किया गया था जिसे टोरंटो में कनाडा की पुलिस ने पकड़ा. साथ ही अमेरिका के न्यू जर्सी में भी एफबीआई ने गिरोह के एक सदस्य को गिरफ्तार किया था.

इस बारे में जानकारी देते हुए दिल्ली पुलिस ने तब बताया था कि अमेरिकी अधिकारियों से उसे 2012 से 2020 के बीच 20 हजार से ज्यादा लोगों को ठगे जाने की सूचना मिली है.

दाऊद ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, "यह अभी राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला भले ना हो, लेकिन छवि का सवाल तो है और हम नहीं चाहते कि भारत को इस मोर्चे पर नुकसान हो.”

भारत में साइबर क्राइम

हाल ही में भारतीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी एक रिपोर्ट में बताया गया था कि देश में साइबर अपराधों में भी भारी उछाल आया है. रिपोर्ट में कहा गया कि देश में रोजाना साइबर अपराधों की 1,500 शिकायतें की गईं जिनमें से लगभग 30 में प्राथमिकी दर्ज हुई.

हैकिंग से यूरोप को अरबों का नुकसान

मंत्रालय द्वारा लोकसभा में दिए गए आंकड़ों में बताया गया कि 30 अगस्त 2019 को सरकार ने नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल शुरू किया था जहां साइबर क्राइम की शिकायत की जा सकती है. आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि 1 जनवरी 2020 से 7 दिसंबर 2022 के बीच देश में 16 लाख से ज्यादा साइबर अपराधों की शिकायत की गई. उनमें से 32 हजार से ज्यादा मामलों में एफआईआर दर्ज हुई.

गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा द्वारा दी गई इस जानकारी का अर्थ है कि दो प्रतिशत से भी कम मामलों में एफआईआर दर्ज की जा रही है. मिश्रा के मुताबिक इन कदमों के जरिए 180 करोड़ रुपये बचाए जा सके हैं.

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