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गाजा में फलिस्तीनियों की मदद बहाल करेगा जर्मनी

२४ अप्रैल २०२४

जर्मनी ने बुधवार को कहा है कि वह गाजा में फलिस्तीनियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत एजेंसी के साथ सहयोग फिर शुरू करेगा. यह फैसला एक स्वतंत्र जांच में संयुक्त राष्ट्र एजेंसी यूएनआरडब्ल्यूए को दी क्लीन चिट के बाद आया है.

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इस्राएल के हमले में ध्वस्त हुआ यूएआरडब्ल्यूए का एक स्कूल
गाजा में इस्राएल के हमले के बाद वहां मानवीय स्थिति बहुत खराब स्थिति में पहुंच गई हैतस्वीर: Majdi Fathi/NurPhoto/picture alliance

फ्रांस की पूर्व विदेश मंत्री काथरीन कोलोना के नेतृत्व में एक कमेटी ने इस्राएल के इन आरोपों की जांच की थी कि क्या यूएनआरड्ब्लूए के कर्मचारी 7 अक्टूबर को हमास के हमले में शामिल थे. इस कमेटी ने सोमवार को कहा कि इस्राएल ने इन आरोपों को पुष्ट करने के लिए  सबूत नहीं दिए हैं कि यूएआरडब्ल्यूए के स्टाफ गाजा के आतंकवादी गुटों में शामिल थे.

जर्मन मंत्रालयों ने यूएनआरडब्ल्यूए को रिपोर्ट के दिशानिर्देशों को तुरंत लागू करने का आग्रह किया है. जर्मनी के विदेश और विकास सहायता मंत्रालयों ने बुधवार को संयुक्त बयान जारी कर कहा है कि संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के दिशा निर्देशों को अब तुरंत लागू कर दिया जाना चाहिए. इन दिशानिर्देशों में यूएनआरडब्ल्यूए के नेतृत्व और एजेंसी को समर्थन देना शामिल है.

जर्मनी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, "जर्मन सरकार यूएनआरड्ब्ल्यूए के साथ ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, स्वीडन और जापान की तरह तुरंत सहयोग शुरू करेगी." 

राफा में बाहर खुले में खाना बनाती गाजा की एक विस्थापित महिला
गाजा के विस्थापितों में से बड़ी संख्या में लोगों ने राफा में शरण ले रखी हैतस्वीर: -/AFP/Getty Images

गाजा की खराब स्थिति

पिछले दिन, एक फलिस्तीनी स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा था कि सैटेलाइट से मिली तस्वीरों में देखा गया था कि खान यूनिस में विस्थापित लोगों के लिए एक शिविर बनाया जा रहा था, जो युद्ध के दौरान एक अस्पताल में आश्रय ले रहे हैं और किसी भी सैन्य अभियान से उनका लेना-देना नहीं है.

हमास और इस्राएल की लड़ाई का दंश झेलती महिलाएं

यह बात इस बात का सबूत है कि गाजा में कहीं भी शरण लेने में कितनी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. यहां के 80 फीसदी लोग जान बचाने के लिए अपने घरों को छोड़ कर बाहर निकल गए हैं.  इलाके की 23 लाख की आबादी में से आधे से ज्यादा लोगों ने राफा में शरण ली है. यहां इस्राएल की ओर से जल्द ही हमला होने की आशंका है. युद्ध के चलते मध्य पूर्व में इस्राएल और अमेरिका, ईरान और उसके सहयोगी चरमपंथी गुट आमने-सामने आ गए हैं. इस्राएल और ईरान ने इस महीने एक दूसरे पर ड्रोन और मिसाइलें दागीं जिससे लगने लगा था कि यह युद्ध  शायद जल्दी नहीं थमेगा.

इस्राएल के बेन गुरियन एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बात करतीं जर्मन विदेश मंत्री
हाल ही में इस्राएल गईं जर्मन विदेश मंत्री ने भी गाजा में मानवीय सहायता का मुद्दा उठाया थातस्वीर: Ronen Zvulun/REUTERS

युद्ध की शुरुआत

इस्राएल-हमास युद्ध 7 अक्टूबर को दक्षिणी इस्राएल में एक हमले से शुरू हुआ था जिसमें हमास के लड़ाकों ने लगभग 1,200 लोगों की हत्या कर दी थी, जिनमें ज्यादातर आम नागरिक थे. इसके साथ ही लगभग 250 लोगों का अपहरण भी किया था. इस्राएल का कहना है कि हमास ने अभी भी लगभग 100 बंधकों और 30 लोगों के शवों को अपने कब्जे में रखा है.

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हमास के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, गाजा युद्ध में 34,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें से लगभग दो-तिहाई बच्चे और महिलाएं हैं. युद्ध में गाजा के दो सबसे बड़े शहर तबाह हो गए हैं.

अमेरिका ने किया मदद का वादा

अमेरिकी सीनेट ने मंगलवार देर रात 26 अरब डॉलर का सहायता पैकेज की घोषणा की, जिसमें से गाजा के लिए लगभग 9 अरब डॉलर की मानवीय सहायता शामिल है. विशेषज्ञों का कहना है कि गाजा अकाल के कगार पर है. इस्राएल के लिए भी अरबों डॉलर की सहायता इस पैकेज में शामिल है. राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस पर तुरंत हस्ताक्षर करने की बात कही है.

पूरे अमेरिका में छात्रों ने गाजा युद्ध के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है. इसकी वजह से कई यूनिवर्सिटियों में पढ़ाई ऑनलाइन कराने की नौबत आ गई है. विरोध प्रदर्शन कर रहे कुछ छात्रों को हिरासत में भी लिया गया है.

एसके/एनआर (डीपीए,रॉयटर्स)