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पाकिस्तान में महिला कैदियों की संख्या क्यों बढ़ रही है?

जमीला अचकजई
२२ मार्च २०२४

पाकिस्तान की जेलों में महिला कैदियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. इसके पीछे ईशनिंदा और महिलाओं के लिए सीमित आर्थिक अवसरों को मुख्य कारण माना जा रहा है.

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पाकिस्तान की जेलों में महिला कैदियों की संख्या बढ़ रही है
पाकिस्तान की जेलों में महिला कैदियों की संख्या बढ़ रही हैतस्वीर: National Commission on the Status of Women

राजमिस्त्री रफीक मसीह की पत्नी शगुफ्ता को अगस्त 2021 में इस्लामाबाद से ईशनिंदा के आरोप में गिरफ्तार किया गया. उसके बाद से ही मसीह और उनके चार बच्चे खौफ के साये में जी रहे हैं. पेशे से नर्स 48 वर्षीय शगुफ्ता को व्हट्सएप पर इस्लाम के प्रति अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में हिरासत में लिया गया.

वर्षों तक पाकिस्तान की राजधानी में रहने के बाद इस ईसाई अल्पसंख्यक परिवार को अब वहां से पलायन कर बगल के शहर रावलपिंडी की ओर कूच करना पड़ा है ताकि वहां लो-प्रोफाइल रहकर खुद को महफूज रख सकें. 

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 55 वर्षीय रफीक मसीह ने डीडब्ल्यू को बताया, "एक चर्चा के दौरान, व्हट्सएप ग्रुप के कुछ मुस्लिम सदस्यों को इस्लाम की शिक्षाओं के बारे में शगुफ्ता की बातें निंदनीय लगीं, उन्होंने स्क्रीनशॉट लिया और पुलिस को इसकी खबर दे दी.”

पुलिस ने हमारे घर पर छापेमारी की, हमारे एक बेटे और बेटी के साथ उसे ले गये और उसका मोबाइल और लैपटॉप भी साथ ले गए.

ईशनिंदा के आरोप के बाद अल्पसंख्यकों को समाज की हिंसा का भी सामना करना पड़ता है
ईशनिंदा के आरोप के बाद अल्पसंख्यकों को समाज की हिंसा का भी सामना करना पड़ता हैतस्वीर: GHAZANFAR MAJID/AFP/Getty Images

ईशनिंदा के आरोपों से भड़कती सांप्रदायिक हिंसा

मसीह के दोनों बच्चे अगले दिन घर वापस आ गए, लेकिन उनकी मां कहां हैं, इसका उन्हें कोई अंदाजा नहीं था. वकीलों की मदद से छह महीनों की मशक्कत के बाद उन्हें पता चला कि उनकी पत्नी रावलपिंडी की मुख्य अदियाला जेल में हैं. 

मसीह कहते हैं, "अब वह ईशनिंदा के आरोपों के लिए ट्रायल का सामना कर रही हैं, तो मैं अपने बच्चों के साथ रावलपिंडी की एक झोंपड़पट्टी में रह रहा हूं. हम ज्यादातर घर में बंद रहते हैं, लोगों से बातचीत नहीं करते हैं, क्योंकि अक्सर ऐसे मामलों में सांप्रदायिक हिंसा देखी गई है.”

मसीह आसपास ही छोटे-मोटे निर्माण कार्यों से आजीविका चलाते हैं और सुरक्षा के लिहाज से रात में काम करने को तरजीह देते हैं.

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1980 के दशक में पाकिस्तानी सेना के तानाशाह जनरल जिया उल हक द्वारा लागू किये गए कानून के तहत-इस्लाम, पैगंबर मुहम्मद और उनकी पवित्र किताब कुरान का शब्दों, चित्रों या कार्यों से अपमान करने पर मृत्युदंड का प्रावधान है. पाकिस्तान में अभी तक ईशनिंदा के लिए किसी को फांसी की सजा नहीं दी गई है, लेकिन इस निंदा के संदिग्धों के घरों और समुदाय पर भीड़ द्वारा हिंसा करना आम बात है.

मसीह ने कहा कि उच्च सुरक्षा वाली जेल में उनकी पत्नी को किसी तरह का कोई खतरा नहीं है, फिर भी वह चिंतित हैं, क्योंकि बीते तीन वर्षों में केस को सुन रहे कई न्यायाधीश बदले जा चुके हैं जिससे उन्हें न्याय मिलने में देरी हो रही है.

मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक जेल में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार का जोखिम बहुत बड़ा है
मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक जेल में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार का जोखिम बहुत बड़ा हैतस्वीर: National Commission on the Status of Women

दुर्व्यवहार के प्रति महिला कैदी 'विशेष रूप से असुरक्षित'

शगुफ्ता की तरह देश भर की कई महिला कैदी अपने ट्रायल का इंतजार कर रही हैं. पाकिस्तान के मानव अधिकार मंत्रालय के अनुसार जेल के कुल कैदियों में 1.5% महिलाएं हैं. पाकिस्तान में 96 जेलें है लेकिन सिर्फ पांच ही महिलाओं के लिए है. यूनिसेक्स जेलों ( जहां महिला और पुरुष दोनों कैदी रहें) में महिलाओं को अलग बैरक में रखा जाता है.

राष्ट्रीय महिला स्थिति आयोग (एनसीएसडब्ल्यू) महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए बनाए गए कानूनों के कार्यान्वयन की निगरानी करने वाली एक वैधानिक संस्था है. आयोग ने बीते कुछ वर्षों में महिला कैदियों की संख्या में खासी बढ़ोतरी दर्ज की है. एनसीएसडब्ल्यू के अनुसार, 2021 में चार प्रांतों में 4,823 महिला कैदी थीं. 2022 में यह आंकड़ा 5,700 और 2023 में 6,309 तक पहुंच गया.

ह्यूमन राइट्स वॉच ने मार्च 2023 में रिपोर्ट जारी कर यह चेतावनी दी थी कि पाकिस्तान में महिला कैदी पुरुष प्रहरियों द्वारा शारीरिक शोषण, दुष्कर्म और भोजन या अन्य काम के बदले यौन संबंध बनाने जैसे दुर्व्यवहार के साये में जीती हैं. अदियाला जेल की महिला कैदियों के परिवार का कहना है कि वहां पर महिलाओं के लिए हाइजीन संबंधी उत्पाद भी उपलब्ध नहीं हैं.

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इसके अलावा, पाकिस्तान के मानव अधिकार मंत्रालय ने भी एक रिपोर्ट में कहा कि महिला कैदियों के पास किसी और की हिरासत में छोड़े जाने के बिना आजाद होने का विकल्प होना चाहिए.

पाकिस्तान की एक जेल के दौरे पर नेशनल कमीशन ऑन द स्टेट ऑफ वुमेन
पाकिस्तान की एक जेल के दौरे पर नेशनल कमीशन ऑन द स्टेट ऑफ वुमेनतस्वीर: National Commission on the Status of Women

घर से दूर की जेलों में भेजी जा रही महिला कैदी

एनसीएसडब्ल्यू के अनुसार, लगभग 27 प्रतिशत महिला कैदियों को उनके गृह जनपदों से बाहर की जेलों में भेजा गया, जो उनके परिवारों के लिए एक बड़ी बाधा का सबब रहा. अनुमति के बाद कैदी अपने परिजनों और वकीलों से मुलाकात कर सकते हैं. हालांकि वकीलों के अनुसार, बैरक की फोटो लेने, ऑडियो रिकॉर्ड करने या उनका वीडियो बनाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है.

मानव अधिकारों पर नजर रखने वाली संस्था राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की अध्यक्ष राबिया जावेरी आगा ने कई कैदियों को उनके घरों के आसपास की जेलों में स्थानांतरित करने की वकालत की है ताकि परिवारजन उनसे आसानी से मिल सकें. 

आधिकारिक आंकड़े दर्शाते हैं कि देश की 134 महिला कैदी छोटे बच्चों के साथ जेलों में हैं. नियमानुसार, पांच वर्ष तक की आयु के बच्चों को अपनी मां के साथ जेल में रहने की अनुमति है, लेकिन रिपोर्ट्स यह भी बताती हैं कि कुछ मामलों में नौ से 10 वर्ष की आयु तक भी बच्चे मां के साथ रहे हैं.

पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून के समर्थन में प्रदर्शन भी हो चुके हैं
पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून के समर्थन में प्रदर्शन भी हो चुके हैंतस्वीर: AP

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रावलपिंडी निवासी वकील सफदर चौधरी ने डीडब्ल्यू को बताया कि 90 प्रतिशत महिला कैदियों को अदालत से रिहा कर दिया गया, लेकिन उन्हें लंबे समय तक जेलों में कैद रहना पड़ा. उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी अदालतों पर काम का इतना अधिक दबाव है कि वे एक दिन में 50 में से केवल छह केस ही सुन पाती हैं और अन्य मामलों की सुनवाई में देरी हो जाती है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महिलाओं के मामलों में त्वरित सुनवाई सुनिश्चित की जाती है.

वकील के अनुसार, ज्यादातर साधारण पृष्ठभूमि से आने वाली महिलाएं हैं और जीवनयापन के लिए मादक पदार्थों की खरीद-फरोख्त या बदले की आग में हत्या करने के मामलों में जेल पहुंचती हैं. हालांकि कुछ महिलाएं परिवार या दुश्मनों द्वारा झूठे मामलों में फंसाए जाने पर भी जेल जाती हैं. उन्होंने आगे कहा कि कुछ जेल से बाहर नहीं आ पातीं क्योंकि उनके पास रिहाई के लिए जमानत और अदालती कार्यवाही के लिए पैसे नहीं होते हैं. 

एनसीएसडब्ल्यू की अध्यक्ष निलोफर बख्तियार कहती हैं कि पाकिस्तान के आर्थिक उतार-चढ़ाव के कारण भी कुछ लोग दैनिक खर्चों के लिए मादक पदार्थों की तस्करी या चोरी जैसी आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त होने पर मजबूर हैं. बख्तियार के अनुसार पाकिस्तान की जेलों में पुरुषों के साथ ही महिलाओं की बढ़ती संख्या के पीछे यह भी कारण भी है.

बख्तियार ने कहा कि उनकी संस्था ने सरकार के बीआईएसपी सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम के साथ मिलकर निम्न आय वाली कई महिलाओं को जुर्माना भरने, रिहाई के लिए जमानत और बॉन्ड की रकम मुहैया करवाने में मदद की है. वह पाकिस्तान की जेलों में संख्या कम करने के लिहाज से महिला सशक्तिकरण के लिए नए संभावनाओं पर भी काम कर रही हैं.