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डब्ल्यूएचओ: स्वास्थ्य आपातकाल की घटनाओं से पड़ा दबाव

२४ मई २०२३

कोविड-19 से लेकर हैजा तक की महामारियों ने वैश्विक आपात स्थिति में डब्ल्यूएचओ के संसाधनों पर और दबाव डाला है. अब संगठन को अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य आपात स्थितियों से निपटने के लिए 50 प्रतिशत अधिक बजट की जरूरत है.

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डब्ल्यूएचओ
डब्ल्यूएचओतस्वीर: Fabrice Coffrini/AFP/Getty Images

विश्व स्वास्थ्य संगठन के लिए इस नई चिंता का कारण अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य आपात स्थितियों का लगातार होना है. संयुक्त राष्ट्र के एक वरिष्ठ सलाहकार का कहना है कि इन वैश्विक या अंतरराष्ट्रीय महामारियों के कारण डब्ल्यूएचओ को कई बार सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में आपातकालीन स्थितियों की घोषणा करने के लिए मजबूर होना पड़ा. इसके कारण संगठन पर ही बोझ पड़ा है.

धन की कमी से जूझता डब्ल्यूएचओ

डब्ल्यूएचओ की वार्षिक बैठक को संबोधित करते हुए संगठन की आपातकालीन प्रतिक्रिया समीक्षा समिति के प्रमुख प्रोफेसर वलीद अम्मार ने कहा कि स्वास्थ्य की स्थिति के कारण डब्ल्यूएचओ पर लगातार बढ़ती मांगों के परिणामस्वरूप उपलब्ध धन और दुनिया में उसके कर्मचारी की कमी की खाई चौड़ी हो रही है.

उन्होंने कहा, "कार्यक्रम बहुत अधिक खींचा गया है क्योंकि मांग केवल आपात स्थितियों की आवृत्ति और जटिलता के साथ बढ़ी है."

समिति की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल मार्च तक डब्ल्यूएचओ 53 उच्च-स्तरीय स्वास्थ्य आपात स्थितियों से निपट रहा था. इनमें कोविड-19, हैजा और मारबुर्ग वायरस का प्रकोप जैसी महामारियां शामिल थीं.

भूकंप और बाढ़ जैसी स्थितियों से भी निपटना पड़ा

इनके अलावा इस अंतरराष्ट्रीय संगठन ने तुर्की और सीरिया में भूकंप और पाकिस्तान में विनाशकारी बाढ़ जैसी मानवीय आपात स्थितियों का भी सामना किया.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन से बाढ़ और तूफान जैसी प्राकृतिक घटनाओं की संख्या और आवृत्ति भी बढ़ रही है, जिसका स्वास्थ्य क्षेत्र पर प्रभाव पड़ रहा है.

2022-2023 के लिए डब्ल्यूएचओ के आपातकालीन कार्यक्रम को उसके मूल बजट का लगभग 53 प्रतिशत ही प्राप्त हुआ है. इसलिए इस संबंध में रिपोर्ट में अधिक स्थिर फंडिंग की भी मांग की गई है.

डब्ल्यूएचओ और इसके सदस्य देश यह भी सुधारने की कोशिश कर रहे हैं कि वे किसी भी स्वास्थ्य आपात स्थिति से कैसे निपटते हैं और डब्ल्यूएचओ के लिए फंडिंग बढ़ाने के अन्य तरीके क्या हैं.

22 मई को सदस्य देशों ने एक नए बजट को भी मंजूरी दी, जिसमें उनके अनिवार्य वित्तीय योगदान में 20 प्रतिशत की वृद्धि शामिल थी.

रिपोर्ट में डब्ल्यूएचओ से अपने प्रदर्शन में और सुधार करने की भी मांग की गई है.

एए/सीके (रॉयटर्स)

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