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विज्ञानसंयुक्त राज्य अमेरिका

फिर चांद छू लेने की नासा की कोशिश

२९ अगस्त २०२२

चांद पर फिर से इंसान को उतारने की तैयारी में नासा आज अपने मिशन आर्टेमिस की शुरुआत करने जा रहा है. नासा का अभी तक का सबसे शक्तिशाली रॉकेट अंतरिक्ष में इंसानों को एक बार फिर चांद पर पहुंचाने के सही हालात की जांच करेगा.

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नासा का विशाल रॉकेट
लॉन्च के लिए तैयार नासा का विशाल रॉकेटतस्वीर: John Raoux/AP Photo/picture alliance

आर्टेमिस नासा के उस अंतरिक्ष कार्यक्रम का नाम है जिसका लक्ष्य इंसानों को एक बार फिर चांद पर और उसके बाद पहली बार मंगल ग्रह पर ले कर जाना है. पचास साल पहले 1972 में अपोलो 17 मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्रियों ने चांद की सतह पर कदम रखा था.

आर्टेमिस के तहत नासा के बिना किसी मानव दल वाले 322 फुट लंबे स्पेस लॉन्च सिस्टम (एसएलएस) रॉकेट को फ्लोरिडा के केनेडी अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाएगा. लॉन्च की तैयारी दशकों से चल रही थी. उम्मीद की जा रही है कि लॉन्च को देखने के लिए लाखों लोग फ्लोरिडा के समुद्र तट पर जमा होंगे.

आर्टेमिस तीन
केनेडी अंतरिक्ष केंद्र के अंदर स्थिर आर्टेमिस तीन कैप्सूलतस्वीर: Joe Burbank/Orlando Sentinel/TNS/abaca/picture alliance

इनमें अमेरिका की उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस भी हो सकती हैं. केप कैनावेरल के आस पास सभी होटल बुक हो चुके हैं. 1,00,000 से 2,00,000 दर्शक लांच देखने आ सकते हैं. इस उड़ान को आर्टेमिस वन कहा जा रहा है और इसका लक्ष्य एसएलएस रॉकेट और उसे ऊपर लगे मानव दल को ले जाने वाले कैप्सूल ओरायन का परीक्षण करना है.

(पढ़ें: चांद पर इंसान के पहुंचने की पूरी कहानी)

क्या करेगा ओरायन कैप्सूल

कैप्सूल चांद के चक्कर काटेगा और यह जानने की कोशिश करेगा कि यान निकट भविष्य में इंसानों के यात्रा करने के लिए सुरक्षित है या नहीं. योजना आगे चल कर एक महिला और एक अश्वेत व्यक्ति को पहली बार चांद पर भेजने की है.

नासा के प्रशासक बिल नेल्सन ने शनिवार 27 अगस्त को कहा, "यह मिशन कई उम्मीदों और कई लोगों के सपनों के साथ शुरू हो रहा है. और हम अब आर्टेमिस पीढ़ी हैं." यह विशालकाय नारंगी और सफेद रंग का रॉकेट अंतरिक्ष केंद्र के लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39बी में एक हफ्ते से भी ज्यादा से इंतजार कर रहा है.

रविवार को उसकी ईंधन टंकियों को भरने का काम शुरू किया गया. इसमें एक घंटे की देर भी हुई क्योंकि आसमान से बिजली गिरने का खतरा बढ़ गया था. रॉकेट में तीस लाख लीटर से भी ज्यादा लिक्विड हाइड्रोजन और ऑक्सीजन भरा गया है. सोमवार को भी लॉन्च से पहले नासा को ईंधन भरने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ा.

चांद बिना खत्म हो जाएगा धरती पर जीवन

लॉन्च के लिए हरी बत्ती दिखाएंगी चार्ली ब्लैकवेल-थॉम्पसन, जो ऐसा करने वाली पहली महिला होंगी. यात्रा 42 दिनों की होगी और उसका हर क्षण कैमरों में कैद होगा. ओरायन कैप्सूल चांद के चक्कर काटेगा और सबसे निकटतम बिंदु पर वो चांद से सिर्फ 100 किलोमीटर दूर होगा.

चांद की सतह का अध्यनन

उसके बाद वो करीब 64,000 किलोमीटर और आगे जाने के लिए अपने इंजनों को चलाएगा. इतनी दूरी इंसानों को ले जाने वाले किसी भी अंतरिक्ष यान के लिए एक रिकॉर्ड होगी. मिशन के प्राथमिक उद्देश्यों में से एक कैप्सूल के गर्मी के कवच का परीक्षण करना है. 16 फुट व्यास वाला यह कवच अभी तक का सबसे बड़ा कवच है.

(पढ़ें: नासा ने मांगा आइडिया- चांद पर कैसे लगाएं परमाणु संयंत्र)

कैप्सूल के पृथ्वी के वातावरण में वापस आते समय इस कवच को करीब 40,000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति और 2,760 डिग्री सेल्सियस का तापमान सहना होगा. यह सूरज की गर्मी की आधी तीव्रता के बराबर है.

असली दल के सदस्यों की जगह यान में डमी बैठाए जाएंगे. इनमें सेंसर लगे होंगे जो गति का बढ़ना, कंपन और रेडिएशन के स्तर को रिकॉर्ड करेंगे. यान छोटे सैटेलाइटों को छोड़ेगा तो चांद की सतह का अध्यनन करेंगी.

आर्टेमिस दो के इंजीनियर उसके बारे में दूसरों को बताते हुए
आर्टेमिस दो के इंजीनियर उसके बारे में दूसरों को बताते हुएतस्वीर: Joe Burbank/Orlando Sentinel/TNS/abaca/picture alliance

इस कार्यक्रम की लागत 4.1 अरब डॉलर प्रति लॉन्च है और इसमें पहले ही कई सालों की देर हो चुकी है. तकनीक, नीति और रणनीति के लिए नासा की असोसिएट प्रशासक भाव्या लाल ने कहा कि यह लॉन्च "एक करीब की दौड़ नहीं बल्कि सौर मंडल और उसके भी आगे के लक्ष्यों को हमारी पहुंच में लाने की एक लंबी मैराथन है."

आर्टेमिस दो नाम का अगला मिशन अंतरिक्ष यात्रियों को चांद की सतह पर उतरे बिना उसके इर्द गिर्द कक्षा में ले जाएगा. आर्टेमिस तीन के दल का लक्ष्य है 2025 तक चांद पर उतरना. और चूंकि इंसान चांद पर पहले ही पहुंच चुका है, आर्टेमिस की नजर इससे भी महत्वाकांक्षी लक्ष्य पर है और वो है मंगल ग्रह पर एक मानव मिशन ले जाना.

आर्टेमिस कार्यक्रम का लक्ष्य है चांद पर स्थायी इंसानी मौजूदगी कायम करने की है. इसके तहत चांद की कक्षा में लगातार घूमने वाला गेटवे नाम का केंद्र बनाने और चांद की सतह पर एक अड्डा बनाने का लक्ष्य है. गेटवे मंगल ग्रह की यात्रा के लिए एक रुकने और ईंधन भरने के केंद्र का काम करेगा. मंगल ग्रह की यात्रा कम से कम भी कई महीनों लंबी होगी.

सीके/एए (एपी/एएफपी)

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