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समाज

एलजीबीटी बिल एचआईवी के खिलाफ लड़ाई के लिए खतरा

५ अगस्त २०२१

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक घाना में एलजीबीटी+ लोगों को सजा देने का प्रस्तावित कानून मानवाधिकारों का "घोर उल्लंघन" है और यह पश्चिम अफ्रीकी राष्ट्र में एचआईवी/एड्स के खिलाफ लड़ाई को एक दशक को पीछे कर सकता है.

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तस्वीर: Zoonar/picture alliance

उचित मानव यौन अधिकारों और घाना में पारिवारिक मूल्य विधेयक, 2021 को घाना की संसद में सोमवार को पहली बार पेश किया गया. अब इस बिल की एक समिति द्वारा समीक्षा की जाएगी और दोबारा सांसदों के पास इसे भेजा जाएगा.

पश्चिम और मध्य अफ्रीका में यूनाइटेड नेशंस प्रोग्राम ऑन एचआईवी/एड्स (यूएनएड्स) चलाने वाले पैट्रिक ब्रैनी के मुताबिक, "यह प्रस्तावित कानून घाना के समलैंगिक, गे, उभयलिंगी और ट्रांसजेंडर समुदाय के मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है. जो पहले से ही देश में उच्च स्तर की हिंसा, दुर्व्यवहार और भेदभाव का सामना कर रहे हैं."

उन्होंने कहा, "यूएनएड्स पूरी तरह से मानवाधिकारों के पक्ष में खड़ा है. घाना में एलजीबीटी लोगों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करता है और सांसदों से इस बिल को अस्वीकार करने का आग्रह करता है."

घाना में समलैंगिक यौन संबंध पहले से ही तीन साल तक की जेल के साथ दंडनीय अपराध है.

कानून के मसौदे में समलैंगिक, गे, उभयलिंगी, ट्रांसजेंडर, ट्रांसेक्सुअल, पैनसेक्सुअल और गैर-बाइनरी के लिए अधिकतम पांच साल की सजा का प्रावधान किया गया है.

यही नहीं प्रस्तावित कानून में एलजीबीटी+ अधिकारों की वकालत करने, उनसे सहानुभूति रखने वाले संगठनों को 10 साल की सजा का प्रावधान है.

यूएनएड्स के मुताबिक हर साल लगभग 4,70,000 अफ्रीकी एचआईवी के साथ जीने वाले बिना परीक्षण के इलाज से चूक जाते हैं और उनकी मौत हो जाती है.

कमजोर समूहों में वे पुरुष शामिल हैं जो पुरुषों के साथ यौन संबंध रखते हैं. ट्रांसजेंडर लोगों और यौनकर्मियों के साथ रिश्ते बनाने वालों को मदद पाने की संभावना को कम कर देता है.

एए/वीके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)

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