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क्या जल्द ही जर्मनी में बन सकती है एक "फासिस्ट" सरकार

हंस फाइफर
१७ जनवरी २०२४

ब्यॉर्न होयके, जर्मनी के थुरिंजिया राज्य में धुर-दक्षिणपंथी एएफडी के नेता हैं. सर्वेक्षणों की मानें, तो एएफडी यहां चुनाव जीत सकती है और होयके मुख्यमंत्री बन सकते हैं. विरोधियों को डर है कि इसके नतीजे बहुत गंभीर होंगे.

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एएफडी के नेता ब्यॉर्न होयके
ब्यॉर्न होयके, थुरिंजिया की प्रांतीय विधानसभा में एएफडी विधायक दल के नेता हैं. तस्वीर: imago images

इस महीने जर्मनी में एक गुप्त योजना जाहिर हुई. अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) और दक्षिणपंथी विचारधारा के चरमपंथियों ने एक गुप्त बैठक कर प्रवासियों को देश से निकालने की योजना बनाई. इस योजना के सामने आने के बाद से ही कई राजनीति विशेषज्ञ और होलोकॉस्ट सर्वाइवर संगठन एएफडी पर प्रतिबंध लगाए जाने की बात कह रहे हैं. उनका कहना है कि पार्टी चरमपंथी हो गई है.

लंबे समय तक विपक्ष में रहने के बाद एएफडी सदस्यों को यकीन हो चला है कि पार्टी एक बड़ी बढ़त के करीब है. जनता के बीच हुए सर्वेक्षण संकेत देते हैं कि स्थानीय, प्रांतीय और यूरोपीय संसद के चुनावों में पार्टी को बड़ी जीत मिल सकती है. पूर्वी जर्मनी में एएफडी अपने विपक्षियों से काफी आगे है. रुझानों में उसे 30 फीसदी से ज्यादा समर्थन मिलता दिख रहा है.

एएफडी के सदस्यों की निगाह 2024 में थुरिंजिया राज्य में सरकार बनाने पर है. उनकी नजर में जो उम्मीदवार है, उनका नाम है ब्यॉर्न होयके. वह खासे चरमपंथी बताए जाते हैं. होयके प्रांतीय विधानसभा में एएफडी के विधायक दल के नेता हैं. वह पहले हाई स्कूल में शिक्षक हुआ करते थे और अतीत में नियो-नाजियों के साथ नजर आ चुके हैं.

2015 की एक चिट्ठी में एएफडी की कार्यकारी समिति ने होयके पर "लांडोल्फ लाडिष" के नाम से लेख लिखने का आरोप लगाया. इल्जाम था कि ये लेख "नेशनल सोशलिज्म के बेहद करीब था." होयके ने इन आरोपों को खारिज किया, लेकिन यह बात हलफनामे में लिखकर दस्तखत करने को राजी नहीं हुए. 2017 में एएफडी ने होयके को पार्टी से निकालने की नाकाम कोशिश की. पार्टी की संघीय कार्यकारी समिति ने होयके के विरुद्ध निष्कासन प्रक्रिया शुरू की.

इसका संबंध ड्रेसडेन में आयोजित पार्टी के एक कार्यक्रम से था, जहां होयके ने जर्मनी में मनाए जाने होलोकॉस्ट स्मृति दिवस की आलोचना की थी. उन्होंने यूरोप में मारे गए यहूदियों के बर्लिन स्थित स्मारक को "शर्मिंदगी का स्मारक चिह्न" बताते हुए कहा था, "अतीत के दबाव में आने की इस मूर्ख राजनीति ने हमें लाचार बना दिया है. हमें स्मृति की राजनीति पर 180 डिग्री का बदलाव चाहिए." लेकिन थुरिंजिया की एक अदालत ने होयके के निष्कासन को खारिज कर दिया. उसके बाद से पार्टी कट्टरपंथी हो गई है और होयके की सोच के ज्यादा करीब हो गई है. उनके समर्थक अब पार्टी के मंच को आकार दे रहे हैं.

धुर-दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी के नेता ब्यॉर्न होयके
थुरिंजिया राज्य में एएफडी सबसे मजबूत पार्टी बनकर उभरी है. इसके नेता ब्यॉर्न होयके राज्य के मुख्यमंत्री बन सकते हैं. तस्वीर: Jens Schlueter/Getty Images

जर्मनी में मजबूत हो रहा है दक्षिणपंथ

1933 से 1945 तक हिटलर के नेतृत्व में नेशनल सोशलिस्टों के शासन के हिंसक दौर के बाद से नाजी सिद्धांतों की किसी वैचारिक या सांकेतिक अपील को जर्मनी में निषिद्ध समझा जाता रहा है. नाजी दौर में जर्मनों ने 60 लाख से ज्यादा यहूदियों का कत्ल किया. वो दूसरे विश्व युद्ध की शक्ल में घटे दुनिया के सबसे जानलेवा संघर्ष के भी जिम्मेदार थे.

अब एएफडी के कई लोग हैं, जिन्होंने नाजी विचारधारा की तर्ज पर दिए गए अपने बयानों से ध्यान खींचा है. 2019 में जर्मनी की एक अदालत ने फैसला दिया कि "पुष्टि किए जा सकने वाले तथ्यों के आधार पर" ब्यॉर्न होयके को कानूनी तौर पर "फासिस्ट" कहा जा सकता है. अब होयके दूसरे विश्व युद्ध के बाद के दौर के ऐसे पहले धुर-दक्षिणपंथी नेता बन सकते हैं, जिन्हें 16 राज्यों में से एक का सरकार प्रमुख चुना जा सकता है.

मुख्यमंत्री पद के पास काफी राजनैतिक ताकत है. अपने राज्य की शिक्षा और मीडिया पॉलिसी का बड़ा जिम्मा प्रांत के सरकार प्रमुख के पास होता है. वह केंद्र सरकार की शरणार्थी नीति को लागू करने के तरीके पर फैसला ले सकता है. एएफडी लंबे समय से असाइलम और इमिग्रेशन कानूनों में बड़े बदलाव की मांग कर रही है.

पब्लिक मीडिया पर हमलावर रुख

नवंबर में एएफडी की एक बैठक में होयके ने वादा किया कि अगर वो चुनाव जीतते हैं, तो बड़े बदलाव लाएंगे. उन्होंने कहा, "हम दक्षिणपंथ के खिलाफ जारी लड़ाई खत्म कर देंगे." होयके पब्लिक मीडिया में भी बड़े बदलाव के पक्षधर हैं. एएफडी सदस्यों की वाहवाही के बीच उन्होंने कहा, "अगर होयके मुख्यमंत्री बन गया, तो क्या होगा? क्या वह सरकारी मीडिया के करार रद्द कर देगा? हां, होयके ऐसा ही करेगा! हां!"

कई सालों से हो रही आलोचनात्मक रिपोर्टिंग के बाद अब एएफडी, जर्मनी में सरकारी मीडिया को खत्म करने या इसके ढांचे में बदलाव करने की मांग कर रहा है. पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से प्रेरित होकर एएफडी तथाकथित "वैकल्पिक मीडिया" पर भरोसा करती है. अपनी नीतियों के प्रचार के लिए वह सोशल मीडिया पर अपने पार्टी चैनलों का इस्तेमाल करती है.

कानूनी विश्लेषण करने वाली वेबसाइट "फरफासुंग्सब्लॉग" ने दिसंबर में रेखांकित किया कि एएफडी के किसी नेता के मुख्यमंत्री बनने की संभावनाएं कितनी मजबूत हैं. इसकी समीक्षा के मुताबिक, अपेक्षाकृत लो-प्रोफाइल समझा जाने वाला विधानसभा अध्यक्ष का पद अहम हो सकता है. जर्मनी में आमतौर पर यह पद उस पार्टी को जाता है, जिसे राज्य के चुनाव में सबसे ज्यादा कामयाबी मिलती है. जनमत सर्वेक्षण दिखाते हैं कि थुरिंजिया में स्पष्ट तौर पर एएफडी आगे है. इसका मतलब कि उसे यह पद मिलने की भारी संभावना है.

फरफासुंग्सब्लॉग ने चेताया, "एक लोकलुभावन सत्तावादी पार्टी के इस पद को संभालने से लोकतंत्र को बहुत ज्यादा नुकसान हो सकता है." इसकी वजह यह है कि विधानसभा अध्यक्ष संसदीय प्रक्रिया की निगरानी करता है. अगर कयास के मुताबिक कम-से-कम 35 फीसदी वोट पाकर एएफडी थुरिंजिया में सबसे मजबूत पार्टी बनकर उभरी, तो चुने गए नेता सरकार के मुखिया के तौर पर ब्यॉर्न होयके की दावेदारी पेश कर सकते हैं.

अगर बाकी सभी राजनैतिक दल उनके विरोध में वोट डालें तो मुख्यमंत्री चुनाव के शुरुआती दो चरणों में होयके 50 फीसदी से ज्यादा समर्थन हासिल करने में नाकाम रहेंगे. लेकिन मतदान के तीसरे चरण में मुख्यमंत्री बनने के लिए साधारण बहुमत भी काफी होगा. अन्य दलों के लिए बस यही एक उम्मीद बचती है कि वो तमाम आपसी असहमतियां किनारे रखें और गठबंधन बनाकर एक साझा उम्मीदवार खड़ा करें. इसके लिए रूढ़िवादी क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक पार्टी और वामपंथी लेफ्ट पार्टी को सालों की कड़वाहट और झगड़े दरकिनार कर साथ काम करना होगा.

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एएफडी पर नहीं, लेकिन होयके पर प्रतिबंध?

जनवरी 2024 में धुर-दक्षिणपंथ के कई विरोधी कार्यकर्ता एक याचिका लाए. इसमें जर्मनी की सरकार से अपील की गई कि वह ब्यॉर्न होयके के कुछ मूलभूत अधिकार जब्त करने के लिए संघीय संवैधानिक अदालत में आवेदन दायर करे. इससे होयके की अभिव्यक्ति की आजादी या सभा करने की स्वतंत्रता जैसे अधिकारों पर पाबंदी लग सकती है.

अदालत उनके वोट डालने और चुनाव लड़ने का अधिकार भी रद्द कर सकती है. साथ ही, वह किसी सार्वजनिक पद पर नियुक्ति के लिए भी अयोग्य करार दिए जा सकते हैं. अगर एएफडी के प्रमुख उम्मीदवार ब्यॉर्न होयके पर असर पड़ा, तो थुरिंजिया में पार्टी की संभावनाएं भी खासा प्रभावित होंगी.