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ऐसे तो आधी रह जाएगी चीन की आबादी!

२६ जनवरी २०२४

चीन की आबादी लगातार दूसरे साल कम हुई है. पिछले एक साल में ही 20 लाख लोग कम हो गए हैं. विशेषज्ञ कह रहे हैं कि इस तरह चीन की आबादी आधी रह जाएगी.

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चीन का शहर बीजिंग
चीन की आबादी लगातार दूसरे साल घटीतस्वीर: Pedro Pardo/AFP/Getty Images

2022 के बाद 2023 में भी चीन की आबादी घट गई. वहां के नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स के मुताबिक 2023 में सिर्फ 90.2 लाख बच्चे पैदा हुए, जो 2017 से आधे हैं.  2023 में देश में 2022 के मुकाबले लगभग पांच लाख मौतें ज्यादा हुईं. यानी 2023 में कुल आबादी में 20.8 लाख की कमी हुई. 2022 में यह गिरावट सिर्फ आठ लाख 50 हजार थी. इसका अर्थ है कि दो साल में ही आबादी में करीब 30 लाख की कमी हो चुकी है.

1959-61 के अकाल के बाद यह पहली बार है जब चीन में लगातार दो साल तक आबादी में कमी हुई हो. विशेषज्ञ आशंका जता रहे हैं कि ऐसा होना जारी रह सकता है. शंघाई अकैडमी ऑफ सोशल साइंसेज ने सबसे पहले कहा था कि 2022 में चीन की आबादी घटेगी. अब उसका कहना है कि 1.4 अरब की आबादी सदी के आखिर तक घटकर 52.5 करोड़ रह सकती है.

चीन के लिए यह एक बड़ी समस्या है क्योंकि काम करने वाले लोगों की संख्या भी कम हो रही है. सन 2100 तक देश में काम करने की उम्र वाले लोगों की संख्या सिर्फ 21 करोड़ रह जाएगी, जो 2014 के स्तर का सिर्फ पांचवां हिस्सा होगी.

बूढ़ा होता चीन

ऑस्ट्रेलिया की विक्टोरिया यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर पॉलिसी स्ट्डीज में काम करने वालीं सीनियर रिसर्च फेलो शीजियान पेंग कहती हैं कि चीन के लिए घटती जन्म दर और बढ़ती मृत्यु दर चिंता की बात है. कन्वर्सेशन पत्रिका के लिए लिखे एक लेख में उन्होंने कहा, "मृत्यु दर बढ़ रही है जो बूढ़ी होती आबादी के कारण होना ही था. 2023 के शुरुआती महीनों में कोविड का प्रकोप भी बढ़ा था. लेकिन आबादी के बूढ़े होने का मुख्य करण जन्म दर में कमी है.”

चीन में जन्म दर इस वक्त दुनिया में सबसे कम देशों में से है. 1991 से 2017 के बीच यह 1.66 के आसपास ही बनी रही. तब देश में एक बच्चे की नीति लागू थी. पर 2020 में इसमें बड़ी गिरावट आई और जन्म दर 1.66 पर आ गई. 2022 में यह और गिरी और 1.08 पर रही. अब यह और कम हो चुकी है. आबादी जितनी है उतनी बने रहे, इसके लिए आमतौर पर माना जाता है कि जन्म दर 2.1 होनी चाहिए.

सबसे कम जन्म दर दक्षिण कोरिया में है जहां प्रति महिला 0.72 बच्चे पैदा हो रहे हैं. ऑस्ट्रेलिया में जन्म दर 1.6 है जबकि भारत में 2022 हर हजार लोगों पर 1.7 बच्चे पैदा हुए.

नीतियों का भी असर

2016 में चीन ने एक बच्चे की नीति खत्म कर दी थी. 2021 में तीन बच्चे पैदा करने की नीति लागू करने से पहले, चीन ने 2015 के अंत में दो बच्चे पैदा करने की छूट दी थी. इससे पहले देश में एक बच्चा पैदा करने की नीति सख्ती से लागू थी. इस नीति की शुरुआत 1979 में की गई थी. उस समय चीन की सरकार का कहना था कि गरीबी मिटाने और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए जनसंख्या पर नियंत्रण जरूरी है.

लेकिन 2015 के अंत में दो बच्चों की नीति लागू होने के बाद भी देश में प्रजनन दर में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई, जबकि बच्चे पैदा करने के लिए लोगों को कई तरह के लाभ और सुविधाओं का ऐलान किया गया.

लेकिन एक बच्चे की नीति के दौरान लोगों की जीवन शैली में बड़े बदलाव हुए हैं. इसके अलावा देश में महंगाई का आलम भी शादी और बच्चे पैदा करने में बाधा बन रहा है. स्टैटिस्टिक्स ब्यूरो के मुताबिक देश में कर्मचारी औसतन 49 घंटे प्रति सप्ताह काम करते हैं, यानी रोजाना नौ घंटे से ज्यादा. पढ़ी-लिखी महिलाएं पुरुषों से कम आय पाती हैं और वे बच्चे पैदा करने को टालती जाती हैं.

2024 से उम्मीदें

पेंग कहती हैं कि चीन को साल 2024 से बड़ी उम्मीदें हैं कि इस साल जन्म दर में वृद्धि होगी. वह लिखती हैं, "2024 चीनी ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक ड्रैगन का साल है, जो सौभाग्य का प्रतीक है. हो सकता है कि कुछ परिवारों ने 2023 में बच्चा पैदा करना टाल दिया हो क्योंकि 2023 खरगोश का साल था, जो कम भाग्यशाली माना जाता है. कम से कम एक अध्ययन में यह बात सामने आई थी.”

कहां तक बढ़ेगी दुनिया की आबादी, जानिए

विक्टोरिया यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर पॉलिसी ने चीनी जनसंख्या पर  किए अपने अध्ययन के बाद कहा है कि 2077 में चीन में काम करने वालों की औसत आयु 65 के पार चली जाएगी. पहले ऐसा अनुमान 2080 तक का था. इस अध्ययन में शामिल शोधकर्ता माते हैं कि 2100 तक चीन में काम करने की उम्र वाले हर 100 लोगों को 127 बुजुर्गों का भार संभालना होगा. अभी यह संख्या मात्र 21 है.

अब चीन उम्मीद तो कर रहा है कि जन्म दर सुधरेगी लेकिन विशेषज्ञों की चिंता यह है कि इसकी संभावना ज्यादा नहीं है. जिन देशों में जन्मदर गिरी है, वहां ज्यादा सुधार हुआ नहीं है. 2022 में जापान में जन्मदर 1.26 थी. सिंगापुर में 1.04, ताइवान में 0.87, हांग कांग में 0.8 दक्षिण कोरिया में 0.78 थी. लेकिन इनमें से किसी भी देश में, सरकार की कोशिशों के बावजूद जन्मदर में सुधार नहीं हुआ है.